डा0अनिल चड्डा की और भी है रचनाएँ
पप्पा चंदा ला दो
पप्पा-पप्पा चंदा ला दो,
मुझको उसके संग खिला दो,
तारों संग वो रोज खेलता,
टुकर-टुकर मैं इधर देखता,
उसको पता मेरा बता दो,
मुझको उसके संग खिला दो ।
पप्पा मुझको ये बतला दो,
चंदा रात में ही क्यों आता,
दिन में क्यों है वो छुप जाता,
क्या सूरज की गर्मी से डर,
या फिर वो घर में सो जाता,
मुझको उसका घर दिखला दो,
मुझको उसके संग खिला दो ।
चंदा को मामा सब कहते,
फिर क्यों इतनी दूर वो रहते,
क्यों बच्चों की नहीं हैं सुनते,
चौड़ा सा मैदान है उनका,
फिर भी हम से नहीं खेलते,
मेरे लिये चंदा को मना लो,
मुझको उसके संग खिला दो ।
समाप्त
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नारायण राव
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